अयोध्या राम मंदिर का विवादों और संघर्ष से रहा नाता

jantakikhabar
0 0
cropped-AAPNKHABAR-1.jpg
Read Time:5 Minute, 30 Second
मंदिर के निर्माण में डेढ़ शताब्दी से अधिक समय लगा, 16वीं शताब्दी की थी बाबरी मस्जिद
अयोध्या। उत्तर प्रदेश में अयोध्या स्थित राम मंदिर लंबे समय से चले आ रहे धार्मिक एवं राजनीतिक विवाद का केंद्र रहा है और इसके निर्माण को लेकर एक  आंदोलन का ही प्रतिफल रहा, जो आज भगवान राम की मूर्ति का प्राणप्रतिष्ठा के रूप साकार रूप में सामने आया। अतीत के झराँखों में झांकने से अयोध्या के राम मंदिर का विवादों और संघर्षों की झलक दृष्टिगोचर होती है।
मंदिर के निर्माण में डेढ शताब्दी से अधिक समय लगा। समयांतर में इसने लंबी कानूनी लड़ाई, सांप्रदायिक झगड़े, दंगे और रक्तपात को भी जन्म ही नहीं दिया, बल्कि दशकों तक एक ज्वलंत चुनावी मुद्दा बना रहा। राम मंदिर लंबे समय से विवादित रहे जिस स्थल पर बनाया गया है. वहां 160वी शताब्दी की एक मस्जिद थी। इतिहास के पन्नों से पता चलता है कि मुगल समाज बाबर के संस्थापक के सेनापति मीर बाकी ने मस्जिद-ए-जन्मस्थान (बाबरी मस्जिद) बनाने के लिए अयोध्या में एक मंदिर को तोड़ दिया था। यह मस्जिद सदियों तक उस स्थान पर खड़ा रहा, जब तक कि 1992 में हिंदू कारसेवकों ने इसे ध्वस्त नहीं कर दिया। इस घटना से देश में व्यापक हिंसा और सांप्रदायिक तनाव फैल गया गया। अयोध्या विवाद उस स्थान के स्वामित्व के इर्द-गिर्द घूमता है, जहां मस्जिद-ए-जन्म स्थान था और क्या यह भगवान राम का जन्मस्थान था। मस्जिद को लेकर विवाद की पहली झलक इसके निर्माण के 300 साल बाद दिखी वर्ष 1853 और 1855 के बीच सुन्नी मुसलमानों के एक समूह ने हनुमानगढ़ी मंदिर पर हमला किया और दावा किया कि मंदिर  मस्जिद को तोड़कर बनाया गया था, हालाकि इसका कोई सबूत नहीं पाया गया।
पहली बार 1858 में दर्ज की गई थी रिपोर्ट
पहली बार 1858 में उस एक घटना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसमें निहंग सिखों एक समूह ने मस्जिद-ए- जन्मस्थान में प्रवेश किया और यह दावा करते हुए हवन किया था कि वहां भगवान राम का नाम लिखा गया था। मस्जिद की दीवारों पर और उसके बगल में एक मंच बनाया गया था वर्ष 1859 में ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनवाई, ताकि हिंदू और मुस्लिम पक्ष अलग-अलग स्थानों पर  पूजा और प्रार्थना कर सकें। यहीं में राम चबूतरा शब्द पहली बार प्रयोग में आया। मंदिर-मस्जिद विवाद पहली बार 1885 में अदालत में पहुंचा, जब निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवीर दास ने राम चबूतरे पर मंदिर बनाने के लिए याचिका दायर की, लेकिन फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद महंत दास ने फैजाबाद अदालत में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। उन्होंने हार नहीं मानी और ब्रिटिश सरकार के न्यायधीश के समक्ष अपील दायर की।
48 वर्षों तक मामला लटका रहा
अगले 48 वर्षों तक मामला लटका रहा और छिटपुट शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रहे। वर्ष 1930 के दशक में अयोध्या का एक नया अध्याय शुरू हुआ। पहली बार दो मुस्लिम समुदायों-शिया और सुन्नी के बीच झगड़ा सामने आया। दोनों मस्जिद-ए-जन्मस्थान पर अपना अपना अधिकार जता रहे थे। दोनों समुदायों के वक्फ बांडों ने मामला उठाया और 10 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत ने हाला के शिया समुदाय के दावों को खारिज कर दिया। विभाजन और भारत की आजादी के बाद अयोध्या आंदोलन का स्वरूप बदल गया। लेखक कृष्णा झा और धीरेंद्र झा की किताब अयोध्या ‘द डार्क नाइट’ के अनुसार तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस ने बाद के वर्षों में पहली बार राम मंदिर को मुद्दा बनाया और फैजाबाद में चुनाव जोता। इस समय तक स्थिति काफी खराब हो चुकी थी। वर्ष 1949 में एक दिन यह दावा किया गया कि मस्जिद-ए- जन्मस्थान के अंदर राम की मूर्ति मिली थी।
Avatar

About Post Author

jantakikhabar

9897129437 गोपेश्वर चमोली ranjeetnnegi@gmail.com
Happy
Happy
100 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बदरी केदार मंदिर समिति चमोली के कर्मचारियों ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूजा पाठ का किया भव्य आयोजन

चमोली। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जनपद चमोली में बडा उत्साह देखने को मिल रहा है। जनपद के सभी मंदिरों को फूल मालाओं और लड़ियों से सजाया गया है। और जगह जगह विष्णु पुराण, सुन्दरकाण्ड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। सोमवार […]

Subscribe US Now

Share