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निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट में राज्य में समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए नितिन भदौरिया सचिव शहरी विकास उत्तराखंड ने न्यायालय को आश्वास्त किया कि 6 महीने के भीतर राज्य में नगर निकायों का चुनाव करा लिए जाएंगे।याचिका में सुनवाई के बाद कोर्ट ने सचिव के बयान रिकॉर्ड करने के बाद दोनों याचिकाओं को लंबित रखते हुए मामले की सुनवाई के लिए 16 अप्रैल मंगलवार की तिथि नियत की है। मंगलवार को सचिव शहरी विकास नितिन भदौरिया कोर्ट में पेश हुए। राज्य सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि सरकार ने निकायों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आरक्षण तय करने के लिए एक सदस्यीय न्यायिक कमीशन का गठन भी किया है। मामले के मुताबिक जसपुर निवासी मो. अनीस व अन्य ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर पालिकाओं कोर्ट में पेश हुए सचिव शहरी विकास नितिन भदौरिया कहा, सरकार ने चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू की, आरक्षण तय करने को न्यायिक कमीशन किया गठित व नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो गया है लेकिन कार्यकाल समाप्त हुए एक माह बीत गया है फिर भी सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया उल्टा निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए। प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जबकि निकायों के चुनाव कराने हेतु सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व से ही एक जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन है। जनहित याचिका में कहा है कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वे निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त करे। प्रसाशक तब नियुक्त किया जाता है जब कोई निकाय भंग की जाती है। उस स्थिति में भी सरकार को छः माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। यहां इसका उल्टा है। निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है लेकिन अभी तक चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित तक नहीं हुआ, ऊपर से निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए जोकि संविधान के विरुद्ध है। कहा कि लोक सभा व विधान सभा के चुनाव निर्धारित तय समय में होते हैं लेकिन निकायों के तय समय में क्यों नही।