चमोली।उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चमोली की बर्खास्त जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी की बर्खास्तगी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर उन्हें बहाल कर दिया है। बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुये उत्तराखण्ड के उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की अवकाशकालीन एकलपीठ ने जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी के निलंबन पर शासनादेश देते हुई उनके जांच पर रोक लगा दी है।साथ ही राज्य सरकार से जवाब मांगा है।अनियमितताओं की जांच को रोकने के लिए श्रीमती भंडारी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
रजनी भंडारी ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने जांच करने में पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया है। पंचायतीराज नियमावली के अनुसार अनियमितता होने पर पहले जिला अधिकारी द्वारा प्रारंभिक जांच की जानी थी, लेकिन जिलाधिकारी द्वारा खुद जांच न करके सीडीओ को जांच सौपी और सीडीओ ने जांच कराने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच कराई।उल्लेखनीय है चमोली की निलंबित जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी पर वर्ष 2012-13 में नंदा राजजात के दौरान विकास कार्यों संबंधी निविदाओं में अनियमिताओं एवं अपने दायित्व का उचित निर्वहन न करने के आरोप हैं। पूर्व ब्लॉक प्रमुख नंदन सिंह बिष्ट की शिकायत पर जांच की सिफारिश के बाद पंचायती राज विभाग की ओर से गत जनवरी को एक आदेश जारी करके रजनी भंडारी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
मिडिया सूत्रों की मानी तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली के जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रजनी भंडारी का बर्खास्त संबंधी पत्रावली पर कोई बयान नहीं दिया था लेकिन पंचायत राज मंत्री द्वारा इस पर बयान दिया गया था इसकी परिणाम स्वरुप पंचायत राज मंत्री को मुंह खानी पड़ी और हाईकोर्ट नैनीताल ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट नैनीताल में उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण की रिटपिटीशन को आधार मानते हुए रजनी भंडारी को स्टे दिया है।