चमोली।सैंजी लगा मैकोट-डुमक-कलगोठ मोटर मार्ग संघर्ष समिति के संरक्षक प्रेम सिंह सनवाल ने कहा कि डुमक गाव को सड़क से जोड़ने की मांग करते-करते ग्रामीण अब परेशान चल है। हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सड़क निर्माण का बामला उलझा दिया जा रहा है। यदि डुमक गांव तक सड़क बनने शासन, प्रशासन और सरकार को इतनी ही परेशानी हो रही है तो गांव को विस्थापित किया जाए बाकि यहां के लोगों को भी मूलभूत सुविधाऐं मिल सके।
सोमवार को गोपेश्वर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संघर्ष समिति के संरक्षण प्रेम सिंह सनवाल, अध्यक्ष राजेंद्र सिंह भ डारी, लक्ष्मण सनवाल ने कहा एक 2007 में स्वीकृत सँजी लगा मैंकोट-डुमक-कलगोठ मोटर मार्ग का निर्माण पूरा नहीं हो पाया । पीएमजीएसवाई की ओर से 010 किमी में आधा अधूरा कार्य करवा कर निर्माण कार्य बंद कर दिया गया है।
उसके बाद विभाग की ओर से कई बार इस सड़क का समरेखण बदलने के बाद भी सड़क को उलझा कर रख दिया है। उनका कहना है कि ग्रामीण सड़क को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके है। अभी भी ग्रामीण गांवों में ही बैठकर धरना दे रहे है लेकिन विभाग की ओर से मामले को उलझाने का प्रयास किया जा रहा है।
उनका कहना है कि अब विभाग की ओर से जो समरेखण किया गया है उसमें डुमक गांव को यह कह कर छोड दिया गया है कि इस गांव के लिए लिंक मोटर मार्ग कर दिया गया है। जबकि इस लिंक मोटर मार्ग से गांव को कोई फायदा नहीं हो रहा है। क्योंकि जहां से लिंक मोटर मार्ग दिया गया है वहां से डुमक गांव सात किलोमीटर की दूरी पर है और वाहन सीधे कलगोठ गांव जायेंगे ऐसे में डुमकगांव के ग्रामीणों को अपने गांव पहुंचने के लिए वाहनों को बुकिंग कर ले जाना पड़ेगा। जबकि पूर्व के समरेखण में डुमक गांव से होते हुए कलगोठ गांव तक पहुंचा जा सकता था। उनका यह भी कहना है कि विभाग की ओर से विभाग की ओर से सैंजी लगा मैकोट- डुमक-कलगोठ मोटर मार्ग का अभी निर्माण कार्य पूरा हुआ ही नहीं और विभाग ने डुमक के लिए लिंक मोटर मार्ग बना दिया है। ऐसे में इस लिंक मोटर मार्ग को बनाये जाने का क्या औचित्य है यह ग्रामीणों की समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मामले में सीएम से भी मुलाकात की है अब विभाग के नये समरेखण का भूगर्भीय सर्वेक्षण की बात सामने आ रही है। यदि इसके बाद भी डुमक गांव के लिए सड़क नहीं पहुंच पाती है तो उनकी मांग है कि गांव को विस्थापित किया जाए ताकि यहां के लोग सुविधा जनक स्थान पर रह सकें।