आपदाग्रस्त पहाड़ में कुर्सी की कंडी कर रही एंबुलेंस का काम

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दो अलग-अलग क्षेत्रों में घायल और गर्भवती महिला को कुर्सी के सहारे पहुंचाया सड़क तक

गोपेश्वर/देवाल (चमोली)। एक तो वैसे ही कब कहां से पहाड़ दरक जाय कोई भरोसा नहीं उपर से यदि कोई बीमार पड़ जाय और सड़क मार्ग बंद हो और क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न हो तो ऐसी दशा में उस परिवार की स्थिति और मनोदशा क्या होगी इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। पहाड़ों में आसमान से बरस रही आफत आम जनमानस के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। जिले में हो रही भारी वर्षा के कारण सड़के अवरूद्ध हो रखी उपर से ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधा भगवान भरोसे है। ऐसे में पहाड़ों में बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कुर्सी एंबुलेंस का काम  कर रही है।

सीमांत जनपद चमोली के ग्रामीणों को सड़क और स्वास्थ्य सुविधा के लिए आज भी जूझना पड़ रहा है। ऐसा एक वाकिया गुरूवार फिर निजमूला घाटी से देखने को मिला हैं। बीते पांच दिनों से बिरही निजमुला मोटर मार्ग के जगह-जगह मलवा आने से बंद पड़ा है। जिससे ग्रामीणों को 10 से 15 किलोमीटर पैदल दूरी तय कर बिरही पहंुचना पड़ रहा है। गाड़ी गांव की रजनी देवी के पैर में चोट लगने और जेठूली देवी की तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों ने कुर्सी की कंडी बनाकर पीठ पर लादते हुए उन्हें सात किलोमीटर की दूरी तय कर पैदल बिरही तक पहुंचाया जहां से जिला अस्पताल लाया गया। ग्रामीण प्रदीप सिंह, संदीप सिंह और भजन सिंह का कहना है कि यह पहली घटना नहीं जब ग्रामीणों ने कुर्सी के सहारे बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल न पहुंचाया हो। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा नहीं है उपर से कई गांवों तक सड़क मार्ग भी नहीं बना है। और आजकल जो मोटर मार्ग था भी वह भी कई स्थानों पर टूटा हुआ है जिससे लोगों को और भी अधिक परेशानी हो रही है।  उन्होंने लोक निर्माण विभाग से जल्द बन्द पड़े मोटर मार्ग को खोलने की मांग की है।

वहीं दूसरी ओर चमोली जिले के लोहजंग-वाण-सडक बुराकोट में क्षतिग्रस्त होने से वाण गांव के कर्जा तोक के ग्रामीणों नें गर्भवती किरन देवी पत्नी देवेन्द्र सिंह को एक किलोमीटर पैदल कुर्सी में बैठाकर जान जोखिम में डालते हुये उफनते गदेरे के ऊपर बल्लियों को पार करके गाडी तक पहुंचाया जहां से गर्भवती को देवाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।   

सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढवाली ने कहा की लोहजंग-वाण सडक बुराकोट में सौ मीटर वाॅश आउट हो जाने से वाण गांव के लोगों को परेशानी का सामना करना पड रहा है। बुधवार को प्रशासन की ओर से बुराकोट गदेरे में आवाजाही के लिए जो वैकल्पिक पुल बनाया था वही पुल गुरूवार को गर्भवती किरन देवी के लिए वरदान साबित हुआ। ग्रामीणों नें बडी मुश्किल से किरन देवी को कुर्सी में बैठाकर झरने और गदेरे से पार कराया। उन्होने सरकार से मांग की है की अतिशीघ्र बुराकोट गदेरे में वैली ब्रिज बनाया जाय। आशा कार्यकत्री लक्ष्मी देवी, कुंवर सिंह, नरेंद्र सिंह, उदय सिंह, मोहन सिंह, खजान सिंह, सुरेश सिंह, राधा, कुन्दन सिंह व सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढ़वाली आदि ने गर्भवती को बुराकोट में सुरक्षित पार करा कर वाहन तक पहुंचाया। 

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