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चिरंजीवी सेमवाल
उत्तरकाशी। पिछले 4 दिनों से सिलक्यारा टनल में फंसे 40 मजदूरों को रेस्क्यू करने के सभी प्रयास असफल हो चुके हैं। दर्जनों एक्स्पर्ट इंजीनियरों की मदद से अब तक के जो प्रयास किये गये। गये उन्हें असफल होते देख अब गाजियाबाद से मंगाई गई बड़े ब्यास वाली आंगर ड्रिलिंग मशीन की सहायता से रेस्क्यू के प्रयास शुरू हो गया हैं।
आंगर ड्रिलिंग की मदद से 900 मी मि वाले एसएस पाइपों को मिट्टी के ढेर के बीचों बीच फंसा कर एक कोने दूसरे हिस्से तक पंहुचाया जायेगा और यदि यह प्रयास सफल हुआ तो बड़े ब्यास वाले इन पाइपों के रास्ते अंदर जिंदगी के जंग लड़ रहे 40 मजदूरों को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ, आईटीबीपी की मदद से बाहर निकालने की तैयारी है। हालांकि यह कार्य इतना सरल भी नहीं क्योंकि मिट्टी के ढेर के बीच यदि बड़े पत्थरों से लोहे के पाइप टकरा गये तो वै मुड़ भी सकते हैं मगर फिलहाल तो 40 जिंदगियों को बचाने के लिए जद्दोजहद एक्स्पर्ट इंजीनियरों द्वारा हो रही है। यदि यह प्रयास सफल रहा तो आज शाम तक अंदर फंसे मजदूरों का रेस्क्यू भी हो जायेगा और उन्हें इलाज के लिए हैली सेवा से हायर सेंटर ले जाया जायेगा। कल रात को केंद्र से भूगर्भीय वैज्ञानिकों का एक दल भी पंहुच गया है जो टनल के टूटने के बारिकियों पर सोध करेगी। सिलक्यारा टनल के अंदर फंसे कुछ मजदूरों के परिजन ब्रह्मखाल या आसपास में ही किराये पर रहते हैं और वै परेसान है। किसी का पति तो किसी का भाई तो किसी का साला टनल में विगत 4 दिनों से जिंदगी की जंग लड़ रहे है। अभी तक शासन प्रशासन के किसी भी कर्मी ने इनकी सुध तक नहीं ली स्थानीय लोग ही उन्हें ढांढस बढ़ा रहे हैं। हालांकि टनल में फंसे मजदूरों से उनके साथियों का वाकी टाकी से संपर्क होने की बात कही जा रही है और उनकी कुशलता की बात कही जा रही है। उनकी कुशलता के लिए सभी भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं।