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आठ कुंतल फूलो से सजाया गया अनुसूया माता का मंदिर
चमोली :25 व 26 दिसम्बर को मेला लगेगा। जिसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। चमोली जिले में संतानदायिनी के रूप में विख्यात माता अनुसूया देवी ने न जाने अब तक कितनी सूनी गोदें भर दी हैं। यही वजह है कि मां के जप – तप के फलस्वरूप ही आज भी हजारों लोगों की गृहस्थी रची – बसी हुई है। 25 व 26 दिसम्बर को मेला लगेगा। जिसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है।
मान्यता है कि मंदिर के गर्भ गृह व अहाते में रात्रिभर जागकर ध्यान, जप – तप करने से भक्तों के भाग्य जाग उठते हैं और उनकी कोख हरी हो जाती हैं। इस रात्रि जागरण के बीच नींद के किसी अलसाये झोंके में कोई स्वप्न दिख गया तो मान लिया जाता है कि क रूण – मूर्ति देवी ने उनकी प्रार्थना सुन ली है।
बरोहियों का होता है रजिस्टे्रशन
वैसे देवी के दर्शनों के लिए साल भर यहां लोग आते रहते हैं। पुत्र कामना के लिए होने वाला रात्रि जागरण तो इसी खास अवसर पर मेले के रूप में जुटता है। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में इस मौके पर दूर- दूर से आने वाले निःसंतान दंपतियों के अलावा सैकड़ों नर- नारी इस मेले में जुटते हैं। जंगल व मैदान में यह मेला जुटता है और मंदिर में रात्रि जागरण पर्व मनाया जाता है। संतान की इच्छा वाली महिलाएं सायं से ही ध्यान जप में बैठ जाती हैं। इन्हें यहां की भाषा में ‘बरोही’ कहा जाता है। मंदिर ट्रस्ट बकायदा इनका रजिस्ट्रेशन कराता है। बरोही उनिंदे ही ध्यान मुद्रा में लंबी रात काट देते हैं।
बेहद प्राचीन है अनुसूया मंदिर
बर्फीली चोटियों, सन्नाटेदार घने – गहरे जंगलों के बीच बसा है माता अनुसूया देवी का मंदिर। इसकी प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। प्रकृति प्रेमियों के लिए तो यह अद्भुत तपोभूमि है।