माइनस जीरो डिग्री सेल्सियस तापमान में ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान के बाद ध्यान मग्न होते साधु
उत्तरकाशी(चिरंजीव सेमवाल)समुद्रतल से 3200 से 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री घाटी में इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में दर्जनों साधु -संत प्राण साधना में लीन हैं। देवभूमि उत्तराखंड अद्भुत साधुओं की तपोभूमि है। यहां की गुफाओं में आज भी ऐसे योगी हैं तो -5 से -30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में यहां रहकर तपस्या करते हैं। इनके एकांत में इनके साथ होती हैं मां गंगा की बर्फीली लहरें। इस समय तो ये लहरें भी बर्फ में जम जाती हैं।वेद पुराणों में हम सबने ज़रूर पढ़ा होगा कि हिमालय की बफीर्ली कंदराओं में ऋषि- मुनि हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या करते थे। ये तो सतयुग ,तृतीय युग, और द्वापर युग का समय था, लेकिन कलयुग में भी उच्च हिमालय की बर्फीली गुफाओं में साधु संत ध्यान,योग में लीन रहते हैं शायद ये बहुत कम लोगों को मालूम होगा । जी हां हम बात कर रहे गंगोत्री धाम की जहां इन दिनों बर्फ की चादर ओढ़े गंगोत्री घाटी में 20-22 अधिक साधु संत प्राण साधना में लीन हैं। ये संत माइनस जीरो डिग्री सेल्सियस तापमान में भी ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करने के बाद ध्यान और योग में मग्न हो जाते है। कोई मौन साधना कर रहा है, तो कोई हठ योग।गौरतलब है कि इस हाड़ कंपा देने वाली इस ठंड में सुरक्षा कर्मी मां गंगा के धाम गंगोत्री में तैनात है। सुरक्षा कर्मी गंगोत्री में मुस्तैदी से ड्यूटी पर डटे हैं।
उधर हर्षिल थाना प्रभारी उमेश नेगी ने बताया कि गंगोत्री धाम में शीतकालीन सीजन में 45 लोगों की रहने की अनुमति होती है लेकिन इस बार 45 से कम लोग है । उन्होंने बताया कि इस बार पुलिस के 5 लोग सुरक्षा में है दो लोग गंगोत्री मंदिर समिति के और 20-22 साधु संत हैं। गंगोत्री मंदिर के पूर्व सचिव एवं वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र सेमवाल बताया कि पति पावनी मां गंगा का उद्गम क्षेत्र गंगोत्री घाटी की कंद्राओं में योग साधना का खास महत्व है। साधना के लिए यहां साधु बड़े पत्थरों की आड़ में अपनी कुटिया बनाते हैं। शीतकाल में जीवन जीने के लिए जरूरी सामान रखते हैं। गंगोत्री हिमालय में शिवलिंग चोटी का बेस कैंप तपोवन पहले से ही योग साधना के लिए खास रहा है।उन्होंने कहा कि यूं तो गंगोत्री तीर्थ धाम अनादिकाल से ऋषि- मुनि साधु संतों की तपस्थली रही है यहां राजा भागीरथ के पूर्वजों से लेकर भागीरथ ने गंगा जी को अपने कठोर तपस्या के बल पर प्रकट किया था । यहां तपस्या करने वाले साधु संतों की फेहरिस्त लंबी है। विशेष कर पूज्य पाद स्वामी कृष्णा आश्रम जी महाराज, (जिन्होंने हिन्दू विश्वविद्यालय बनारस का शिलान्यास किया था) , पूज्य दास नारायण नरिया दास पा दास नरहरिया दास महाराज योगअग्नि प्रकट कर अपने प्रणान त्यागे थे, हंसानंद महाराज जो शीतकाल में गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद तपस्या करने तपोवन चले जाते थे। स्वामी रामानंद अवधूत ने कभी भी वस्त्र नहीं पहने थे गंगोत्री धाम के गंगा तट रहते थे, गोविन्द दास जी महाराज जो सूर्य कुंड के समीप भोज पत्र की कुटिया बनाकर तपस्या में लीन रहे, तपोवनों महाराज, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी विष्णु नंद, स्वामी दिनेशानंद महाराज, स्वामी लक्ष्मण दास जी ,अवधूत, दंडी स्वामी पूर्णा नंद तीर्थ, स्वामी सत्यानंद, स्वामी गंगा दास फलाहारी सहित
बाबा रामदेव जैसे बड़े नाम शामिल हैं।