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चमोली।देश-प्रदेश में बीएसएनएल के अधिकारी सूचना क्रांति का ढोल पीट रहे हैं। लेकिन निजमुला घाटी के सैकड़ों लोगों के कान फोन की एक घंटी सुनने को तरस गए हैं। इस घाटी के दर्जनभर गांवों को दूरसंचार सुविधा से जोड़ने के लिए एक मात्र बीएसएनएल मोबाइल टावर लगाया गया है। निगम की लापरवाही से मोबाइल फोन पर कई दिनो से घंटी नहीं बज पा रही है। बोलने को तो 4 जी लगाया गया है।लिहाजा ग्रामीणों को दूरभाष सुविधा का लाभ लेने के लिए 20 से लेकर 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। एक तरफ भारत देश आज 15 अगस्त मना रहा दूसरी ओर निजमुला घाटी के लोग फोन की घंटी सुनने को तरस रहे है।
वैसे तो दूरसंचार के क्षेत्र में गौंणा घाटी का अपना इतिहास रहा है। ब्रिटिश शासन काल में गौंणा घाटी में मौजूद दुर्मी ताल के फटने की संभावनाओं को देखते हुए यहां हरिद्वार से सिंगल तार वाली दूरसंचार लाइन बिछाई गई थी। उस दौरान चमोली जिले में यह एकमात्र घाटी थी, जहां दूरसंचार सुविधा उपलब्ध थी। हालांकि देश आजाद होने के बाद 1990 के दशक तक इस घाटी के गौंणा, गाड़ी, दुर्मी, पगना, निजमूला, ब्यारा, सैंजी, पाणा, ईराणी समेत दर्जनभर गांवों के लिए दूरसंचार सुविधा दिवास्वप्न बनी रही। 1990 के बाद इस घाटी को दूरसंचार सुविधा से जोड़ने की पहल की गई। ब्यारा गांव निवासी देवेंद्र पंवार का कहना है कि फोन के लिए 30 किलोमीटर दूर बिरही या फिर चमोली आना पड़ रहा है। ब्यारा ग्राम प्रधान बृज लाल ने बताया कि बीमारी या फिर दुर्घटनाओं के दौरान तो सूचनाओं का आदान प्रदान ही मुश्किल हो रहा है।