रणजीत नेगी
उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों को बचा लिया गया है। दीपावली के दिन 12 नवंबर को टनल में अचानक हुए लैंडस्लाइड के कारण वहां काम कर रहे 41 मजदूर कैद हो गए थे, जिनको बचाने के लिए पिछले 17 दिनों से लगातार दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। अब तक सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया।
आखिरकार 17 दिनों की दिन रात की मेहनत के बाद जैसे ही मजदूरों को बाहर निकल गया, सभी को एक-एक कर एंबुलेंस के जरिए चिन्यालीसौड़ सीएचसी में ले जाया गया, जहां पहले से ही सभी सुविधाएं चाक-चौबंद कर ली गई थी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती के साथ ही मेडिकल से जुड़ी सभी सुविधा उपलब्ध करा दी गई थी।
मजदूरों को टनल से बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ के जवान एस्केप पाइप के जरिए टनल में घुसे और फिर मजदूरों को एक-एक करके बाहर निकल गया। अच्छी बात यह रही की सभी मजदूरों की हालत फिलहाल ठीक है। उनको कुछ दिन निगरानी में रखने के बाद अगला फैसला लिया जाएगा।
टनल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिक ऑगर मशीन को लगाया गया था। ऑगर मशीन ने अपना काम तो किया, लेकिन उसमें काफी लंब वक्त भी लग गया। जब मशीन ने हाथ खड़े कर दिए तो सेना की इंजीनियरिंग विंग के रैट माइनर्स को बुलाया गया। रैट माइनर्स ने आखिरी कुछ मीटर की दूरी को बहुत कम समय में अपने हाथों से खोदकर पाइप को आर-पार करा दिया।
मजदूरों की बाहर निकालते ही उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। टपन के भीतर ही अस्थाई अस्पताल बनाया गया। उनके लिए काले चश्मों की व्यवस्था भी की गई। कई दिनों टपल में बंद रहने के कारण उनको बाहर सन लाइन में आते ही देखते में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसको देखते हुए सभी तरह के अंतजाम किए गए।
इस रेस्क्यू अभियान में SDRF, NDRF, NHIIDCL, THDC, BRO, ONGC, RVNL और विदेशी एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स समेत वैज्ञानिकों को भी तैनात किया गया था। साथ ही PMO से लेकर उत्तराखंड सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों की भी तैनाती की गई थी।
यह अपनी तरह का शायद देश में पहला ऐसा रेस्क्यू अभियान है, जिसमें किसी टनल के भीतर एक साथ बड़ी संख्या में लोग फंसे हों और उनको निकालने के लिए 17 दिनों तक रेस्क्यू अभियान चलाया गया हो, जिसकी चर्चा देश के साथ ही विदेश में भी हुई। हालांकि, उत्तराखंड में टनल से जुड़ा कोई पहल हादसा नहीं है। इसी टनल में पहले भी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके अलावा जोशीमठ, तपोवन और रैणी हादसा भी शामिल है।