चमोली के मत्स्य पालकों को मछली बीज उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बना रहा मत्स्य विभाग

jantakikhabar
0 0
cropped-AAPNKHABAR-1.jpg
Read Time:5 Minute, 3 Second

 

मत्स्य पालन कर रहे काश्तकारों को विभागीय प्रशिक्षक दे रहे मत्स्य प्रजनन का प्रशिक्षण

मत्स्य बीज स्वयं तैयार कर काश्तकारों की आय में होगी वृद्धि, बीज के लिए विभाग पर निर्भरता होगी कम

चमोली जनपद में काश्तकार जहां वर्तमान में मत्स्य पालन से अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं। वहीं मत्स्य विभाग ने जनपद के काश्तकारों की बीज के लिए विभाग व अन्य पर निर्भरता को खत्म करने की मुहिम शुरु कर दी है। विभाग की ओर से दिए जा रहे मत्स्य प्रजनन के प्रशिक्षण के बाद काश्तकार स्वयं मछली के बीज का उत्पादन कर सकेंगे। जिससे बीज की खरीद में होने वाले खर्च से काश्तकार बच सकेंगे।

चमोली जनपद में 451 काश्तकार मत्स्य पालन कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। जिला मत्स्य प्रभारी जगदम्बा कुमार ने बताया कि जनपद के काश्तकार प्रतिवर्ष 2 हजार कुंतल से अधिक मछली का विपणन कर अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन वर्तमान तक काश्तकारों को करीब 55 लाख की लागत से मछली का बीज विभाग अथवा बाजार से खरीदना पड़ रहा था। ऐसे में कुछ काश्तकार बीज न मिलने की सूरत में मत्स्य पालन से विमुख हो रहे थे। ऐसे में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही मत्स्य विभाग के सचिव वीवीआर पुरुषोत्तम के निर्देश पर विभाग ने जनपद में काश्तकारों को मछली के बीज उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बनाने की योजना शुरु की है। जिसके तहत विभाग की ओर उर्गम के 6 काश्तकारों के साथ ही ल्वांणी, चलियापाणी और वांण की समिति से जुड़े काश्तकारों को मत्स्य प्रजनन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष वांण की समिति को दिए प्रशिक्षण के बाद वर्तमान समिति की ओर से ढाई लाख मत्स्य बीच का विपणन कर करीब 14 लाख की आय अर्जित की गई है। बताया कि जल्द ही जनपद के काश्तकारों की मत्स्य बीज को लेकर विभाग और बाजार पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। कहा कि इस वर्ष विभाग की ओर से 3 लाख से अधिक मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके लिये विभागीय प्रशिक्षकों की देखरेख में मत्स्य पालन कर रहे काश्तकारों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जिले के इन दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्य पालन कर

मस्त्य विभाग केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से टैंक निर्माण कर मत्स्य पालन से काश्तकारों को जोड़ने का काम कर रहा है। वर्तमान में जनपद के उर्गम घाटी, वांण, चलियापानी, ल्वांणी, करछौं, नंदानगर, मंडल घाटी के गांवों में काश्तकार मत्स्य पालन कर रहे हैं। काश्तकार को ट्राउट मछली स्थानीय बाजार में 6 सौ रुपये और दिल्ली सहित बाहरी बाजारों आठ सौ से एक हजार रुपये किलो की कीमत पर विपणन किया जा रहा है। जिससे काश्तकार बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं।

 

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ट्राउड मछली का सेवन

ट्राउड मछली के सेवन को स्वास्थ्य के लिये बेहतर होता है। जानकारों के अनुसार ट्राउड मछली में प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, सेलेनियम आयोडीन, जिंक, मैंगनीज, फास्फोरस सहित विटामिन ए, डी, बी, बी12, बी3, बी6 व बी2 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ऐसे में ट्राउड मछली के सेवन से हृदय रोग का खतरा कम होता है। बच्चों के मस्तिष्क के विकास, नेत्र स्वास्थ्य, वजन प्रबंधन के साथ ही इसे गर्भवती महिलाओं के लिए भी लाभप्रद बताया जाता है।

Avatar

About Post Author

jantakikhabar

9897129437 गोपेश्वर चमोली ranjeetnnegi@gmail.com
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अब की बार 400 पार तीसरी बार मोदी सरकार “ अभियान की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने किया दीवार लेखन 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने किया चिन्यालीसौड से दीवार लेखन के कार्य का शुभारंभ चिरंजीव सेमवाल उत्तरकाशी।भाजपा ने मिशन 2024 के तहत चिन्यालीसौड़ से दीवार लेखन अभियान की शुरूआत की। शुक्रवार को नगर पालिका चिन्यालीसौड के वार्ड 3 शक्तिपुरम कॉलोनी में “अब की बार 400 पार तीसरी बार मोदी सरकार “ […]

Subscribe US Now

Share